लेह में कर्फ्यू में 7 घंटे की ढील, हिंसा के एक हफ्ते बाद मिली राहत

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मुख्य बिंदु:

  • लेह में 7 घंटे की कर्फ्यू ढील के बाद खुले बाजार, लोगों को मिली राहत

  • उपराज्यपाल ने की शांति बनाए रखने की अपील, जल्द समाधान का भरोसा

  • हिंसक विरोध के बाद इंटरनेट बंद, प्रदर्शनकारियों पर NSA के तहत कार्रवाई

  • लेह में कर्फ्यू में राहत, बाजारों में लौटी रौनक

    लद्दाख के हिंसा प्रभावित लेह शहर में मंगलवार, 30 सितंबर 2025 को प्रशासन ने सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक कर्फ्यू में सात घंटे की ढील दी। एक हफ्ते से जारी प्रतिबंधों के बाद यह राहत लोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण रही। इस दौरान बाजार खुले, दुकानें सजीं और जरूरी सामान की खरीदारी की गई।

    इससे पहले 29 सितंबर को दो घंटे की ढील दी गई थी, जो उन चार लोगों के अंतिम संस्कार के तुरंत बाद हुई थी, जो 24 सितंबर को हुई हिंसा में मारे गए थे। मृतकों में एक सेवानिवृत्त सैनिक भी शामिल था।

    हिंसा की स्थिति अब नियंत्रित, पुलिस और अर्धसैनिक बल तैनात

  • पुलिस अधिकारी के अनुसार, 24 सितंबर की घटना के बाद से अब तक कोई नई अप्रिय घटना नहीं हुई है। संवेदनशील क्षेत्रों में भारी संख्या में पुलिस और अर्धसैनिक बल तैनात हैं और हालात पर कड़ी नजर रखी जा रही है।

    एडीएम गुलाम मोहम्मद ने कर्फ्यू ढील के दौरान किराना, सब्जी, दवा और आवश्यक सेवाओं की दुकानें खोलने की अनुमति दी।

    इंटरनेट बंद, सार्वजनिक जमावड़े पर प्रतिबंध जारी

  • लेह में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं अभी भी निलंबित हैं और कारगिल सहित लद्दाख के अन्य इलाकों में पांच या अधिक लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लागू है।
  • उपराज्यपाल की अपील: शांति, एकता और समाधान की ओर कदम

    लद्दाख के उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता लगातार सुरक्षा समीक्षा बैठकों की अध्यक्षता कर रहे हैं। उन्होंने 29 सितंबर को लोगों से शांति और सद्भाव बनाए रखने की अपील की। उनका कहना था:”हम समाज के सभी वर्गों से आग्रह करते हैं कि वे एकजुट रहें, असामाजिक ताकतों के बहकावे में न आएं। प्रशासन हर नागरिक की सुरक्षा, सम्मान और प्रगति के लिए प्रतिबद्ध है।”

    उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि हर जायज मुद्दे का समाधान बातचीत और लोकतांत्रिक प्रक्रिया से किया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को जनसंपर्क बढ़ाने, खुफिया सूचनाओं पर कार्य करने और शिकायतों का त्वरित निवारण सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।

  • हिंसा की पृष्ठभूमि: क्यों भड़का था विरोध?

    24 सितंबर को लेह एपेक्स बॉडी (LAB) के एक घटक द्वारा लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची के प्रावधानों के विस्तार की मांग को लेकर बंद का आह्वान किया गया था। इस दौरान प्रदर्शन हिंसक हो गया, जिसमें चार लोगों की मौत हुई और कई घायल हुए।

    इसके बाद प्रशासन ने कर्फ्यू लागू किया और 60 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया, जिनमें चर्चित जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक भी शामिल थे। उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत हिरासत में लेकर राजस्थान की जोधपुर जेल भेजा गया।

  • भाजपा की प्रतिक्रिया: न्याय और जवाबदेही की मांग

    भाजपा ने घटना की निष्पक्ष जांच और जवाबदेही तय करने की मांग की है। पार्टी ने मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना जताते हुए कहा:

    “हम निर्दोष लोगों की तुरंत रिहाई की मांग करते हैं। लद्दाख को उसकी पहचान, संस्कृति और शांति के लिए जाना जाता है। सभी नागरिकों से आग्रह है कि वे कानून को हाथ में न लें और अफवाहों से बचें।”

    निष्कर्ष

  • लेह में एक सप्ताह बाद कर्फ्यू में मिली ढील से आम नागरिकों को राहत तो मिली है, लेकिन हालात पूरी तरह सामान्य नहीं हुए हैं। प्रशासन लगातार सुरक्षा समीक्षा कर रहा है और जनता से सहयोग की अपील कर रहा है। आंदोलन और हिंसा के पीछे की मांगें अब भी बनी हुई हैं, जिनके समाधान के लिए सरकार को लोकतांत्रिक संवाद का रास्ता अपनाना होगा।

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