लेख का सारांश:
विजयादशमी, जिसे दशहरा भी कहा जाता है, बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व है। इस दिन शुभ कार्य, विशेषकर दान का अत्यधिक महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सही वस्तुओं का दान करने से दरिद्रता दूर होती है, धन-धान्य में वृद्धि होती है और जीवन में सकारात्मकता आती है।
मुख्य बिंदु:
शुभ दान:
पीले वस्त्र, सफेद कपड़े, अनाज, जनेऊ, नारियल, स्वर्ण और अध्ययन सामग्री जैसे कॉपी-पेन का दान इस दिन विशेष फलदायी माना गया है।वर्जित दान:
लोहे के शस्त्र, नुकीली वस्तुएं, चमड़े से बनी चीजें और हल्दी का दान दशहरे पर वर्जित माना गया है।गुप्त दान का महत्व:
शास्त्रों के अनुसार, गुप्त रूप से किया गया दान सर्वश्रेष्ठ होता है। यह पुण्य फल को कई गुना बढ़ा देता है।
दशहरे पर क्या करें दान?
पीले वस्त्र व नारियल:
पीले कपड़ों में नारियल लपेटकर ब्राह्मण को दान करें। यह व्यापारिक उन्नति व धन वृद्धि में सहायक होता है।सफेद वस्त्र:
सफेद कपड़े जैसे धोती, कुर्ता, साड़ी आदि दान करने से मन में शांति और परिवार में सौहार्द बना रहता है।जनेऊ व अनाज:
जनेऊ और अन्न का दान करने से जीवन में स्थिरता आती है और भोजन से संबंधित कोई कष्ट नहीं होता।कॉपी-पेन (विद्या दान):
गरीब बच्चों में स्टेशनरी का वितरण करना ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि करता है।सोना (यदि संभव हो):
सामर्थ्य अनुसार स्वर्ण दान करने से आर्थिक प्रगति और लक्ष्मी कृपा प्राप्त होती है।
दशहरे पर क्या न करें दान?
लोहे के अस्त्र-शस्त्र या नुकीली वस्तुएं:
यह नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाते हैं और परिवार में विवाद ला सकते हैं।चमड़े की वस्तुएं:
जैसे बैग, बेल्ट आदि दान करना धार्मिक रूप से अशुद्ध माना जाता है।हल्दी:
इस दिन हल्दी का दान बृहस्पति ग्रह को कमजोर कर सकता है, जिससे जीवन में अस्थिरता आती है।
निष्कर्ष:
विजयादशमी केवल एक त्यौहार नहीं, बल्कि धार्मिक ऊर्जा और शुभ कर्मों का विशेष दिन है। इस दिन सही वस्तुओं का दान करने से धन, सुख और शांति की प्राप्ति होती है। वहीं, कुछ विशेष वस्तुओं से परहेज़ करने से अशुभ प्रभाव से बचा जा सकता है।

